Tuesday, February 26, 2008

I am so alone
this darkness is my own
the illuminating light has gone
but i am waiting for whom
for whom i am waiting so long

As the wind becomes breezy
sea becomes so crazy
evening becomes so hazy
but still i am alone
in beads of my perspiration
in the hopes of my aspiration
in flight of my aviation
in the light of my inspiration
in hardships of my devotion
I am waiting for whom
for whom i am waiting so long

for those who never came with me
for those who were with me
for those whose souls are in paradise
I don't know for whom i am waiting so long
but surely there is some one
for whom i am waiting so long - - - - - -

Sunday, February 17, 2008


                                           उड़ान 
  इस कविता के माध्यम से मे उस कमजोर वर्ग का उत्साह वर्धन करना चाहता हू ,जो मानसिक अथवा शारारिक रूप से विकृत है ,जिन्हें उनके कमजोर होने का हर बार एहसास कराया जाता है ,और इस से निराश हो कर वोह जिंदगी से हार मान लेते है |  इस कविता में एक पक्षी का उदाहरण  दिया गया है जो अपने पंख कट जाने पर भी आसमा छूने का विश्वास रखता है |  
अहंकारी समाज जिसे एक मनुष्य से प्रदर्शित क्या गया है ,वो कमजोर पक्षी का उपहास उड़ाते हुए कहता हैं 

 कट जायेंगे  पंख तुम्हारे
           जिन पर तुझको नाज है
                    मत भूल ! तू है एक मात्र परिंदा |
         बिन पंखो के क्या काज है   
        
    लेते उड़ान उस नभ की  
               जहा साथी संघ का साथ है
         कट जायेंगे पंख तुम्हारे
               फिर तेरी क्या आस है
                        फिर तेरी क्या आस है ---है
पक्षी बड़े ही आत्मविश्वास के साथ मनुष्य को   उत्तर देता हुए कहता :
कट जायेंगे पंख हमारे
             फिर भी कुछ करने की प्यास
 नभ छूने   की आस है
                 उड़ने  का  विश्वाश  है
          
उड़ान पंखो से नही तेरी
               तेरी इछाशक्ति का अभ्यास   है
 मत भूलो ! मानव तू भी
        सम्भव सब कुछ है
  जब तक तुझ में आस है
                      छुलेगे आसमा को भी
 यदि द्रयन्य  निश्चय
                   और आत्मविस्वास  है
 इरादों ने बदली दुनिया
                    कह रहा इतिहास है
 कट जायेंगे पंख हमारे
                      फ़िर भी कुछ करने की आस है
        नभ छूने की प्याश है
                     कुछ नया करने का विश्वाश है