Wednesday, December 16, 2009

कोई लौटा दे वो पल

 कोई  लौटा दे वो  पल

 

i dedicate this poem to my friends and my  school UPSS  where i have passed my  6 years.and the at  end of my  final year when i was passing out from there  ,these  words yelled in  my heart ..कोई  लौटा दे वो  पल  जो गुजर गए .. 


आसमान में गर्दशे छाती रहेगी 
तारे महफिले सजाते रहेंगे  
कल हम न हुए तो क्या 
आने वाले हमारा एहसास करते रहेंगे

      मस्ती नजरो से छलकती रहेगी 
     मुस्कराहट मुख से बरसती रहेगी 
     कोसो मील आपसे रह कर भी 
     हमारी छाप आप के दिलो बस्ती रहेगी 

खग चहकते रहेंगे , 
   बाग़ महकते रहेंगे 
कालिया चटकती रहेंगी 
   तारे टिमटामाते रहेंगे 
मन मचलता रहेगा 
      यादे सताती रहेंगी 
आशु झरते रहेंगे 
      नदिया बहती रहेगी 


दिल से दुआ निकलती रहेगी 
हर दुआ यह कहती रहेगी
फिर लौटा दो वो  पल 
 जो गुजर गए 
     जो अमिट छाप बना गए 
         कोई  लौटा दे वो  पल 
                जो गुजर गए _ _ _


Sunday, December 13, 2009

PAL PAL KINARA पल पल किनारा

   
                पल पल किनारा


चलते चलते दिन गुजर गए
                   चलते चलते रात गुजर गयी
जो दिल में थी बात
                   वो दिल मे रह गयी
लाल्साओ का सागर उठा
                   पर उम्मीद का कहा सहारा था
 जहा पैर धरा ,
                   वहा से  सौ  मील किनारा था  
 सौ  मील किनारा था_ _ _


आशाओ का दीपक जल उठा 
                        जब एक पत्ति का सहारा था 
एक उम्मीद उठी दिल में
                       सायद बगल में किनारा था 
 पैर बढाया , तो फिसल गया 
                        दूर हो गया जो पत्ति का जो सहारा था ,
 डूब गया उस सागर में ,
                         जहा कोई कहा हमारा था,
 ऐसा वो नजरो का नजराना था ,
                          पर नजर उठा कर मैंने देखा ,
 मैं वही था  ,  
          जहा से सौ  मील किनारा था                   
                            सौ  मील किनारा था_ _ _