इन शब्दों में कैसे बयां करू
कितनी इन्तहा चाहत मैं उनसे करता हूँ
वक़्त गुजर जाता है जिनकी आस में
और मैं थम थम के उनसे बातें करता हूँ
पल पल भर के नजराने में
कितने सपने मुझको दिख जाते है
आस लगा कर हाथ बड़ा कर
जब मैं आगे बढता हूँ ,
पाता हूँ ना कुछ , बस धूल उन सपनो की
जिनसे मैंने आगे बढ कर आना सीखा