मैं क्यों हैरान होता
पल पल क़ि बातो में
सभाल ना पाता अपने धीरज को
बह जाता इसी हैरानी में
अन्दर का आक्रोश जाग जाता
पल भर क़ि लाचारी में
भूल जाता आज कल वर्तमान को
उत्तेजत हो जाता मन इसी परेशानी में
पंगु हो जाती सोच हमारी
रह जाता सिर्फ भ्रम अहम् का
दुविधा का भव सागर विकराल हो जाता
जब पड़ती चोट आत्मगिलानी की
जाग जाता स्वाभिमान हमारा
टूट जाती बेड़िया सारी
रह जाता बस एक ही अभिमान
जिंदगी का सच यही है
जीता है सिर्फ बलवान
जीना है जियो शान से
वर्ना बद्तर है जीना कायर के सामान
इस भव सागर में कैसे दुविधा आई है
पल भर में हमने मौत पर जीत पाई है
बड़ते आत्म विश्वाश ने
हम में इक नयी चेतना लायी है
दिखा देंगे उनसब को
जिनसे हमने चोट खायी है
लिया है संकल्प आज अपने आप से
हार ना मानेगे जिन्दगी में कभी
ना रुकेंगे ना थकेंगे
जब तक मंजिल पर ना पहुचेंगे
विचारो में हमारे शक्ति हैं
इरादों की नीव भी पक्की है
युग बदलेगी यह सोच हमरी
युग बदलेगी यह सोच हमरी
जब जानेगी ये दुनिया सारी
हम विकृत अपाहिज हुए तो क्या हुआ
जान हम में भी बसती है
पर फिर क्यों दुनिया हम पर हसती है
फिर दुनिया क्यों हम पर हसती है ..
10 comments:
waah waah
बहुत सुन्दर...
बहुत सुन्दर...
bohot hi sundar lekhan... keep writing... :)
and plz remove word verification frm ur settings..
धन्यवाद दोस्तों ...
मन की विभा है निराली
दो पल की खुसिया भर देती हरियाली
यह देख कवी फूला ना समाता
जब श्रोता को अपने भावो मैं विभोर पाता ...
nice poem...
बहुत सुन्दर लिखते रहिये भावनाओं को व्यक्त करते रहिये....लगता है आप ने ऑन लाईन टाईपिंग की है. क्या आप जानते हैं कि आप ऑफ लाईन भी टाईपिंग कर सकत हैं (ट्रंस्लिट्रेशन टूल)के ज़रीये...
स्नेह और शुभकामनायें
चन्दर मेहेर
kvkrewa.blogspot.com
lifemazedar.blogspot.com
इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
शानदार प्रयास बधाई और शुभकामनाएँ।
एक विचार : चाहे कोई माने या न माने, लेकिन हमारे विचार हर अच्छे और बुरे, प्रिय और अप्रिय के प्राथमिक कारण हैं!
-लेखक (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') : समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान- (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जिसमें 05 अक्टूबर, 2010 तक, 4542 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता राजस्थान के सभी जिलों एवं दिल्ली सहित देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे), मो. नं. 098285-02666.
E-mail : dplmeena@gmail.com
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wow!! yaar i loved it. especially the way u ended it on big note. waiting for next one so eagerly.
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