एक छोटी सी नन्ही सी पत्ती
हिलती है और कुछ कह जाती है
मन में नई उमंगें
और कई सपने दिखला जाती है
हर पल जीती, हर पल इठलाती
हर पल जीती, हर पल इठलाती
कितने दर्द सह जाती है
अपने छोटे से जीवन में ,
एक छोटी सी नन्ही सी पत्ती
हिलती है और कुछ कह जाती है...
वंदन करती उन पुष्पों का
जिनमे गुंजन भवरो का होता
आभूषण बनती उन डालो का
जिनमे बसेरा चिड़ियो का होता
अलंकृत करती उस पौधे का
जिसमे श्रंगार हरियाली का होता
विकास करती उस वृक्ष का
जिससे पोसण जन मानुष का होता
एक छोटी सी नन्ही सी पत्ती
हिलती है और कुछ कह जाती है ...
जीती सिर्फ कुछ पल के लिए
लेकिन कितना कुछ बतला जाती है
परोपकार परमो धरमा
जीवन का अर्थ बता जाती है
अंत मैं मिलती उस माटी में
जहा सबके पैरो की धूल आती है
फिर भी गर्व का अनुभव करती है
जब उस माटी में अपना पन पाती है
अपने जीवन को सर्वोतम बताती है
और जीवन का अर्थ समझा जाती है
एक छोटी सी नन्ही सी पत्ती
हिलती है और कुछ कह जाती है
मन में नई उमंगें
और कई सपने दिखला जाती है......
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और कई सपने दिखला जाती है......
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